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Wednesday, 16 April 2014

uring the 7th and 8th century a new family of people who came to be known as Rajputs emerged. They basically were the warrior class of people were Rajasthan in India is located in central parts. But the rise of Rajputs and there are many theories about the conflict that put forward different events that led to the rise of Rajput kingdom are. Royal Rajputs of Rajasthan, Rajasthan and Gujarat, ruled for a period of more than 500 years successfully. Read more about the history of Rajputs in Rajasthan.
Being essentially the warrior class, was the sheer force of Rajput soldiers. There bodyguards and guards who were very loyal to his master. In fact, the Rajputs were known for their loyalty and trustworthy nature. Rajputs were skillful warriors follow a strict code of conduct when he is fighting off an enemy came running. There are many stories about the heroism of the Rajputs are folklores. Rajput were God's people were afraid and Vishnu, Rama and is dedicated to Sun God.
A very famous Rajput ruler Prithviraj Chauhan 12th century around a fierce battle was fought against Mohammad Gauri. Some of the Mughal Rajput Islam, which the former colonial empire in Southeast Asia's largest foundation to convert the rulers invaded. Rajputs were known for their unique architectural wonders and many palaces and forts in Rajasthan and Gujarat to build around. They built forts and temples still stand strong and provide a glimpse of the Rajput royal heritage.
Over time the Rajputs power mainly to the fact that they were unable to move with the times began to fall due. Rajasthan and Gujarat, the Mughals invaded and occupied large parts. After Babar's efforts, the Emperor Humayun and Akbar, the Rajput Empire about virtually all parts of the conquered. Marital alliance with the Mughals and Rajputs, not just by the war was through. With the advent of the British, all the Rajput states such Rajputs British colonies became royal rule ended
The Following is a List of The 10 Major Royal Rajput
Suryavanshi Rajput --Suryavanshi rajputs trace their lineage to the Vedic Sun - Surya. Lord Rama was also born in this lineage. Suryavanshi rajputs ruled over Mewar, Marwar, Amber, etc.

Raghuvanshi Rajput--A Raghav Rajput is a member of one of the major Suryavanshi Rajput clans of India who ruled a number of kingdoms and princely states. Raghav is the oldest Suryavanshi Rajput clan. They enjoy a reputation as rulers and soldiers. The Raghav population and the former Rajput states are found spread through much the subcontinent, particularly in North India and central India. The Raghav are the forefathers of many Suryavanshi Rajput clans such as the Sisodiyas, Kachwahas, and Minhass. Their kuldevta (family deity) is Lord Rama and their kuldevi (goddess) is Sita.
Nagvanshi Rajput --The Nagavanshi dynasty is one of the ancientKshatriya dynasties of India. The Vedas do not mention Kshatriyas of either Suryavanshi, Chandravanshi, Nagavanshi, Agnivanshi or such Vanshas or lineages. The Puranas, of debatable dating, constructed such genealogies. The Puranas were supposedly written from the Gupta Period onwards See: Puranas. Bhavishyapuran mentions 12 heavenly serpents like Takshak, Vasuki, Sheshnag, Anantnag etc. and Swastik as the weapon of Takshak. Swastik is a sacred symbol for Hindus, Buddhists and Jains. On Hindu temples and homes, statues of the Buddha and Mahavir swastik symbol is quite common. Divine serpent Sheshnag is considered as the throne of lord Vishnu. While lord Shiva is always shown with a serpent around neck. All those things clearly indicate relationship between Nagavanshi dynasties and present Indian society. A copper plate inscription from the Gupta Period relates to the Nagas being elevated to Kshatriya-hood 26. The copper plates of this period relate to the Nagas being defeated by the Guptas; and subsequently being married into them. One example is that of the King Chandragupta I who married Queen Kuber Naga. The Nagas were mentioned as a non-aryan snake worshipping tribe of ancient India 27. However, puranic legends constructed the genealogy of the Nagavanshis as a sub-clan of Suryavansha.
Chandravanshi Rajput --Somvanshi/Chandravanshi rajputs descended from Som (the vedic deity Soma or Moon). Chandravanshi and Yaduvanshi are from the same line which bifurcated at King Yadu when his father banished him from becoming the king. Gujarat, Jaisalmer was ruled by Chandravanshi rajputs. The Yaduvanshi trace there lineage to Lord Krishn
Rathore Rajput --The Rathore are a major Rajput clan originally descended from the Gahadvala Dynasty in Kannauj in Uttar Pradesh. At the time of the end of the British Raj in 1947 they were rulers in 14 different princely states in Marwar, Jangladesh, Rajasthan, andMadhya Pradesh. The largest and oldest among these was Jodhpur, in Marwar and Bikaner. The Maharaja of Jodhpur is regarded as the head of the extended Rathore clan of Hindu Rajputs. Today the clan is numerous and spread over a wide geographical area. Many Rathores have pursued successful careers in politics. At the time of Todd's list in 1820, the Rathore clan had 24 branches, including the Barmera, Bika, Boola, Champawat, Dangi, Jaitawat, Jaitmallot, Jodha, Khabaria, Khokhar, Kotaria, Kumpawat, Mahecha, Mertiya, Pokharan, Mohania, Mopa, Randa, Sagawat, Sihamalot, Sunda, Udawat, Vanar, and Vikramayat.
Chauhan Rajput --The Chauhan (also spelled as Nirwan) are of Agnivanshi lineage. Their state was initially centered around khetri, khandela, alsisar malsisar, srimadhopur, alwar, jhunjhunu, sikar, churu,According to legend and clan history, the Nirwan are with Maharana Pratap against Akbar in Haldighati Battle. Nirwan's have many gotras, most of these gotras are Baloji, Pithoraji, Kaluji.

Saturday, 29 March 2014

मै धर्मवीर सिंह मॆरॆ देश के सभी नागरिक से यह अपील करता हुँ कि वह 10 अप्रैल को अपना मत जरूर दे और सही उमीदवार को चुने ।

Wednesday, 19 February 2014

इंगलैण्ड की राजधानी लंदन में यात्रा के
दौरान एक शाम महाराजा जयसिंह सादे
कपड़ों में बॉन्ड स्ट्रीट में घूमने के लिए निकले और
वहां उन्होने रोल्स रॉयस कम्पनी का भव्य
शो रूम देखा और मोटर कार का भाव जानने के
लिए अंदर चले गए। शॉ रूम के अंग्रेज मैनेजर ने उन्हें
“कंगाल भारत” का सामान्य नागरिक समझ कर
वापस भेज दिया। शोरूम के सेल्समैन ने भी उन्हें
बहुत अपमानित किया, बस उन्हें “गेट आऊट” कहने केअलावा अपमान क…रने में कोई कोर कसरनहीं छोड़ी।अपमानित महाराजा जयसिंह वापस होटलपर आए और रोल्स रॉयस के उसी शोरूम पर फोनलगवाया और संदेशा कहलवाया कि अलवर केमहाराजा कुछ मोटर कार खरीदने चाहते हैं।कुछ देर बाद जब महाराजा रजवाड़ी पोशाकमें और अपने पूरे दबदबे के साथ शोरूम पर पहुंचे तब तकशोरूम में उनके स्वागत में “रेड कार्पेट” बिछचुका था। वही अंग्रेज मैनेजर और सेल्समेन्स उनकेसामने नतमस्तक खड़े थे। महाराजा ने उस समयशोरूम में पड़ी सभी छ: कारों को खरीदकर,कारों की कीमत के साथ उन्हें भारत पहुँचाने केखर्च का भुगतान कर दिया।भारत पहुँच कर महाराजा जयसिंह ने सभी छ:कारों को अलवर नगरपालिका को दे दी औरआदेश दिया कि हर कार का उपयोग (उस समय केदौरान 8320 वर्ग कि.मी) अलवर राज्य मेंकचरा उठाने के लिए किया जाए। विश्वकी अव्वल नंबर मानी जाने वाली सुपर क्लासरोल्स रॉयस कार नगरपालिका के लिएकचरागाड़ी के रूप में उपयोग लिए जाने केसमाचार पूरी दुनिया में फैल गया और रोल्सरॉयस की इज्जत तार-तार हुई। युरोप-अमरीका में कोई अमीर व्यक्ति अगर येकहता “मेरे पास रोल्स रॉयस कार” हैतो सामने वाला पूछता “कौनसी?”वही जो भारत में कचरा उठाने के काम आती है!वही?बदनामी के कारण और कारों की बिक्री मेंएकदम कमी आने से रोल्स रॉयस कम्पनी केमालिकों को बहुत नुकसान होने लगा।महाराज जयसिंह को उन्होने क्षमा मांगते हुएटेलिग्राम भेजे और अनुरोध किया कि रोल्सरॉयस कारों से कचरा उठवाना बन्द करवावें।माफी पत्र लिखने के साथ ही छ: और मोटर कारबिना मूल्य देने के लिए भी तैयार हो गए।महाराजा जयसिंह जी को जबपक्का विश्वासहो गया कि अंग्रेजों को वाजिब बोधपाठमिल गया है तो महाराजा ने उन कारों सेकचरा उठवाना बन्द करवाया ।                     

                       
                                                                                                *बड़गुजर धर्मवीर सिंह *

'यह सच में दुनिया का सबसे बड़ा शो है. लोकतांत्रिक और विविधता की अनूठी मिसाल. जहां 70 करोड़ से ज्यादा लोग वोट करते हैं और इस तरह इस प्राचीन सभ्यता को भविष्य की ओर ले जाने में अपनी छोटी भूमिका अदा करते हैं. पाकिस्तान, चीन और बर्मा (म्यांमार) जैसे अस्थिर और हिंसक पड़ोसियों के होते हुए यह कम प्रभावशाली नहीं है.इसकी चुनौतियां अपार हैं. खास तौर से विकास और आतंकवाद से निपटने के संबंध में. लेकिन इन चुनौतियों, सैकड़ों भाषाओं, कई धर्मों और पड़ोसी देशों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह आश्चर्यजनक रूप से प्रभावशाली है.सभी धर्म बसते हैं यहांदेश जहां हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का जन्म हुआ. जो मुसलमानों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है. जहां बीते 2000 साल से ईसाई धर्म का अस्तित्व है, जहां प्राचीन यहूदी सभास्थल हैं. जहां यहूदी समुदाय तब से रह रहे हैं जब रोमन्स ने अपना दूसरा मंदिर जलाया था. वह देश जहां दलाई लामा और उनकी निर्वासित तिब्बती सरकार रहती है.सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हमारी थीयह वही देश है जहां अपने मूल जगह से बाहर निकाले जाने के बाद से पारसी गर्व से रह रहे हैं. जहां अर्मेनियाई, सीरियाई और न जाने कहां कहां से लोग रहने आए. जो पिछले 2000 साल की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, ऐसा पेरिस की संस्था ओईसीडी (OECD) कहती है. सिर्फ 200 साल पहले वह दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी. जहां तीन मुस्लिम राष्ट्रपति चुने गए. जहां एक सिख प्रधानमंत्री है और सत्तारूढ़ पार्टी की मुखिया एक कैथोलिक इटैलियन महिला है.जहां की संस्कृति में है आशावादजहां राष्ट्रपति भी एक महिला है, जिसने एक मुस्लिम राष्ट्रपति की जगह ली. वह मुस्लिम राष्ट्रपति एक रॉकेट वैज्ञानिक के रूप में देश का हीरो था. जहां उभार लेती अर्थव्यवस्था हर साल 4 करोड़ लोगों को गरीबी के ग्रास से निकाल रही है. जहां के मध्य वर्ग की तादाद अमेरिका की पूरी जनसंख्या के बराबर है और 2025 तक जहां मध्य वर्ग की जनसंख्या सबसे ज्यादा होगी.जिसका आशावाद और उमंग उसकी फिल्मों, कलाओं, आर्थिक तरक्की और वोटिंग में दिखता है. ऐसे माहौल में जहां अद्वितीय चुनौतियां और मुश्किलें हैं और जहां महान ताकतें हर वक्त आपको प्रभावित करने में लगी हैं, इसने दुनिया में अपनी अहम जगह बनाई है.जहां यह सब कुछ हो रहा है, वह भारत है. और जहां 10 फीसदी से ज्यादा लोग वोट करने को तैयार हैं, यह पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है.'


Saturday, 30 November 2013

 कल चुनाव  है तो  मेरे राजस्थान  वासियो मै आपसे अपील करता हु कि सही नेता का चुनाव करे ताकि आप बाद में पसताए नहीं *******************************************************************राघव धर्मवीर  सिंह 

Wednesday, 3 July 2013

राघव धर्मवीर सिंह

                                                                                       
                                   राघव  धर्मवीर  सिंह