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Wednesday, 19 February 2014

इंगलैण्ड की राजधानी लंदन में यात्रा के
दौरान एक शाम महाराजा जयसिंह सादे
कपड़ों में बॉन्ड स्ट्रीट में घूमने के लिए निकले और
वहां उन्होने रोल्स रॉयस कम्पनी का भव्य
शो रूम देखा और मोटर कार का भाव जानने के
लिए अंदर चले गए। शॉ रूम के अंग्रेज मैनेजर ने उन्हें
“कंगाल भारत” का सामान्य नागरिक समझ कर
वापस भेज दिया। शोरूम के सेल्समैन ने भी उन्हें
बहुत अपमानित किया, बस उन्हें “गेट आऊट” कहने केअलावा अपमान क…रने में कोई कोर कसरनहीं छोड़ी।अपमानित महाराजा जयसिंह वापस होटलपर आए और रोल्स रॉयस के उसी शोरूम पर फोनलगवाया और संदेशा कहलवाया कि अलवर केमहाराजा कुछ मोटर कार खरीदने चाहते हैं।कुछ देर बाद जब महाराजा रजवाड़ी पोशाकमें और अपने पूरे दबदबे के साथ शोरूम पर पहुंचे तब तकशोरूम में उनके स्वागत में “रेड कार्पेट” बिछचुका था। वही अंग्रेज मैनेजर और सेल्समेन्स उनकेसामने नतमस्तक खड़े थे। महाराजा ने उस समयशोरूम में पड़ी सभी छ: कारों को खरीदकर,कारों की कीमत के साथ उन्हें भारत पहुँचाने केखर्च का भुगतान कर दिया।भारत पहुँच कर महाराजा जयसिंह ने सभी छ:कारों को अलवर नगरपालिका को दे दी औरआदेश दिया कि हर कार का उपयोग (उस समय केदौरान 8320 वर्ग कि.मी) अलवर राज्य मेंकचरा उठाने के लिए किया जाए। विश्वकी अव्वल नंबर मानी जाने वाली सुपर क्लासरोल्स रॉयस कार नगरपालिका के लिएकचरागाड़ी के रूप में उपयोग लिए जाने केसमाचार पूरी दुनिया में फैल गया और रोल्सरॉयस की इज्जत तार-तार हुई। युरोप-अमरीका में कोई अमीर व्यक्ति अगर येकहता “मेरे पास रोल्स रॉयस कार” हैतो सामने वाला पूछता “कौनसी?”वही जो भारत में कचरा उठाने के काम आती है!वही?बदनामी के कारण और कारों की बिक्री मेंएकदम कमी आने से रोल्स रॉयस कम्पनी केमालिकों को बहुत नुकसान होने लगा।महाराज जयसिंह को उन्होने क्षमा मांगते हुएटेलिग्राम भेजे और अनुरोध किया कि रोल्सरॉयस कारों से कचरा उठवाना बन्द करवावें।माफी पत्र लिखने के साथ ही छ: और मोटर कारबिना मूल्य देने के लिए भी तैयार हो गए।महाराजा जयसिंह जी को जबपक्का विश्वासहो गया कि अंग्रेजों को वाजिब बोधपाठमिल गया है तो महाराजा ने उन कारों सेकचरा उठवाना बन्द करवाया ।                     

                       
                                                                                                *बड़गुजर धर्मवीर सिंह *

'यह सच में दुनिया का सबसे बड़ा शो है. लोकतांत्रिक और विविधता की अनूठी मिसाल. जहां 70 करोड़ से ज्यादा लोग वोट करते हैं और इस तरह इस प्राचीन सभ्यता को भविष्य की ओर ले जाने में अपनी छोटी भूमिका अदा करते हैं. पाकिस्तान, चीन और बर्मा (म्यांमार) जैसे अस्थिर और हिंसक पड़ोसियों के होते हुए यह कम प्रभावशाली नहीं है.इसकी चुनौतियां अपार हैं. खास तौर से विकास और आतंकवाद से निपटने के संबंध में. लेकिन इन चुनौतियों, सैकड़ों भाषाओं, कई धर्मों और पड़ोसी देशों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह आश्चर्यजनक रूप से प्रभावशाली है.सभी धर्म बसते हैं यहांदेश जहां हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का जन्म हुआ. जो मुसलमानों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है. जहां बीते 2000 साल से ईसाई धर्म का अस्तित्व है, जहां प्राचीन यहूदी सभास्थल हैं. जहां यहूदी समुदाय तब से रह रहे हैं जब रोमन्स ने अपना दूसरा मंदिर जलाया था. वह देश जहां दलाई लामा और उनकी निर्वासित तिब्बती सरकार रहती है.सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हमारी थीयह वही देश है जहां अपने मूल जगह से बाहर निकाले जाने के बाद से पारसी गर्व से रह रहे हैं. जहां अर्मेनियाई, सीरियाई और न जाने कहां कहां से लोग रहने आए. जो पिछले 2000 साल की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, ऐसा पेरिस की संस्था ओईसीडी (OECD) कहती है. सिर्फ 200 साल पहले वह दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी. जहां तीन मुस्लिम राष्ट्रपति चुने गए. जहां एक सिख प्रधानमंत्री है और सत्तारूढ़ पार्टी की मुखिया एक कैथोलिक इटैलियन महिला है.जहां की संस्कृति में है आशावादजहां राष्ट्रपति भी एक महिला है, जिसने एक मुस्लिम राष्ट्रपति की जगह ली. वह मुस्लिम राष्ट्रपति एक रॉकेट वैज्ञानिक के रूप में देश का हीरो था. जहां उभार लेती अर्थव्यवस्था हर साल 4 करोड़ लोगों को गरीबी के ग्रास से निकाल रही है. जहां के मध्य वर्ग की तादाद अमेरिका की पूरी जनसंख्या के बराबर है और 2025 तक जहां मध्य वर्ग की जनसंख्या सबसे ज्यादा होगी.जिसका आशावाद और उमंग उसकी फिल्मों, कलाओं, आर्थिक तरक्की और वोटिंग में दिखता है. ऐसे माहौल में जहां अद्वितीय चुनौतियां और मुश्किलें हैं और जहां महान ताकतें हर वक्त आपको प्रभावित करने में लगी हैं, इसने दुनिया में अपनी अहम जगह बनाई है.जहां यह सब कुछ हो रहा है, वह भारत है. और जहां 10 फीसदी से ज्यादा लोग वोट करने को तैयार हैं, यह पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है.'